कोरोना वायरस संक्रमण के चलते एक ओर जहां लोगों की जान जा रही है तो वहीं लॉकडाउन के दौरान जगह-जगह फंसे लोगों के साथ ऐसे दर्दनाक हादसे हो रहे हैं, जिसकी उन्होंने जीवन में कभी कल्पना तक नहीं की होगी। ताजा मामला बिहार से जुड़ा हुआ है। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में फंसे टीपू यादव (Tipu Yadav) नाम के युवक की मां का भागलपुर (बिहार) में देहांत हो गया, लेकिन वह अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होना तो दूर वह अपनी मां के दिवंगत शरीर का अंतिम दर्शन तक नहीं कर सकता है। वजह है लॉकडाउन के दौरान हवाई, ट्रेन और बस सेवाओं का पूरी तरह बंद होना।
दिल्ली में बनाए गए नाइट शेल्टर में रुके टीपू यादव का कहना है कि मैं बिहार के भागलपुर से दो जून की रोटी के चक्कर में दिल्ली आया था। गांव में मेरी मां की मौत हो गई, लेकिन मैं लॉकडाउन के चलते यहां पर फंसा हुआ हूं। टीपू रोते हुए बताता है- ‘मैं बेहद गरीब हूं। मैं ऐसी स्थिति में अपने गांव जाना चाहता हूं। कोई मेरी मदद करो।’
अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहता है टीपू
टीपू के साथ मौजूद उसके साथियों को मुताबिक, वह अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहता है। उसके साथी भी कहते हैं कि ऐसा वक्त भगवान किसी को न दे, जब किसी की मां की मौत हो जाए और उसका बेटा उसके अंतिम दर्शन तक न कर सके।
फोन पर दी गई मां की मौत की सूचना
टीपू की मानें तो उसकी मां की मौत की सूचना उसके स्वजन ने फोन पर दी। साथियों के मुताबिक, जैसे टीपू यादव को उसकी मां की मौत की जानकारी वह चीख पड़ा। वहीं, टीपू चाहता है- ‘इन मुश्किल वक्त में मैं परिवार के लोगों के साथ ही रहना चाहता हूं, ऐसे में सरकार उसकी मदद करे और उसे भागलपुर (बिहार) पहुंचा दिया जाए।’
प्रवासियों को साल रही तन्हाई
दिनभर जी तोड़ मेहनत कर रात को सिर्फ थकान उतारने के लिए सोने वाले प्रवासी मजदूर इन दिनों काम के अभाव के साथ-साथ तन्हाई का भी सामना कर रहे हैं। 10-12 घंटे तक काम में जुटने वाले मजदूरों को अब अपने घर-परिवार की चिंता सता रही है। ऐसे में वह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते और कभा-कभार रो भी पड़ते हैं। बता दें कि इससे पहले पैदल ही मध्य प्रदेश जा रहे एक शख्स की 80 किलोमीटर दूर आगरा में ही हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।